Go Zero को मिली ₹30 करोड़ की फंडिंग – क्या हेल्दी आइसक्रीम की नई क्रांति आने वाली है?

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सोचिए अगर आइसक्रीम खाने के बाद गिल्ट फील न हो — स्वाद भी वही, और सेहत भी बनी रहे। अब सोचिए कि इसी सोच के साथ एक स्टार्टअप खड़ा हुआ हो और उसने हाल ही में जबरदस्त फंडिंग हासिल कर ली हो। हम बात कर रहे हैं Go Zero की — एक ऐसा ब्रांड जो हेल्दी और गिल्ट-फ्री आइसक्रीम बनाने के मिशन पर है, और जिसने हाल ही में अपने सीरीज़-ए फंडिंग राउंड में ₹30 करोड़ (~$3.5 मिलियन) जुटाए हैं।

इस ताज़ा निवेश के साथ Go Zero की कुल फंडिंग अब $6 मिलियन तक पहुंच गई है। और यह रकम केवल एक आंकड़ा नहीं है — यह भारत की आइसक्रीम इंडस्ट्री में आने वाले बदलावों की आहट है।


किन निवेशकों ने जताया भरोसा?

Go Zero के इस फंडिंग राउंड में कई प्रमुख निवेशकों ने भाग लिया है:

  1. DSG Consumer Partners

  2. Saama Capital

  3. V3 Ventures

इसके अलावा, दो जानी-मानी हस्तियों ने भी Angel Investors के तौर पर निवेश किया है:

  1. Aman Gupta (Co-founder, boAt)

  2. Namita Thapar (Executive Director, Emcure Pharmaceuticals)

इन दिग्गजों का Go Zero पर भरोसा इस बात का संकेत है कि हेल्दी डेसर्ट अब केवल एक ट्रेंड नहीं, बल्कि आने वाले समय की ज़रूरत है।


Go Zero का विज़न क्या है?

Go Zero के फाउंडर और CEO किरण शाह कहते हैं,

“हमारा उद्देश्य हमेशा से यही रहा है कि लोग बिना अपराधबोध के मिठाई का आनंद ले सकें। इस फंडिंग से हम सप्लाई चेन को मजबूत करेंगे, नए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स लाएंगे और ब्रांड की पहुंच को बड़े पैमाने पर बढ़ाएंगे।”

यह केवल व्यापार के विस्तार की बात नहीं है — यह उस सोच को मजबूत करने की बात है जो कहती है कि स्वाद और सेहत एक साथ चल सकते हैं।


कहां तक पहुंच चुका है ब्रांड?

2022 में स्थापित, Go Zero अब तक मुंबई, दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा चुका है। कंपनी अब दिल्ली-एनसीआर में एक नई प्रोडक्शन यूनिट भी लगाने की योजना बना रही है।

इसका उद्देश्य है – Tier I और Tier II शहरों में तेज़ी से विस्तार। आने वाले समय में आप इसे अपने शहर की सुपरमार्केट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर और भी ज्यादा देखेंगे।


क्यों खास है Go Zero का प्रोडक्ट?

Go Zero की आइसक्रीम में जो बात सबसे खास है, वो है इसका फॉर्मूला —
100% शुगर-फ्री
कम कैलोरी
हाई-प्रोटीन विकल्प
ग्लूटन-फ्री और किटो-फ्रेंडली वेरिएंट्स

यानी यह आइसक्रीम उन लोगों के लिए भी है जो डायबिटीज से जूझ रहे हैं, फिटनेस रूटीन फॉलो कर रहे हैं, या सिर्फ हेल्दी चॉइस बनाना चाहते हैं।


फंडिंग का होगा कहां इस्तेमाल?

Go Zero इस फंडिंग को तीन प्रमुख क्षेत्रों में उपयोग करेगा:

  1. Supply Chain Expansion – ज़्यादा शहरों में फास्ट और फ्रेश डिलीवरी सुनिश्चित करना।

  2. Product Innovation – नए हेल्दी फ्लेवर्स और डेसर्ट वैरायटी लाना।

  3. Brand Awareness – मार्केटिंग और डिजिटल पहुंच को बढ़ावा देना।


क्या भारत तैयार है गिल्ट-फ्री आइसक्रीम के लिए?

भारत में हेल्थ-कॉन्शियस कंज्यूमर तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग अब खाने में न केवल स्वाद, बल्कि पोषण भी चाहते हैं। ऐसे में Go Zero जैसे ब्रांड्स का बढ़ना यह दिखाता है कि आने वाले सालों में हेल्दी डेसर्ट एक बड़ा बाजार बनने जा रहा है।

Go Zero की ताज़ा फंडिंग न सिर्फ उनके ग्रोथ का संकेत है, बल्कि यह पूरी इंडस्ट्री के लिए एक wake-up call है — हेल्दी अब नया नॉर्मल बनने वाला है।


निष्कर्ष:
Go Zero की कहानी एक बात साफ करती है – आइसक्रीम इंडस्ट्री अब सिर्फ "स्वाद" तक सीमित नहीं रही। सेहत के साथ समझौता किए बिना स्वाद की दुनिया में कदम रखने का वक्त आ गया है। और इस बदलाव की अगुवाई कर रहा है Go Zero।

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